22 February 2012

Latest UPTET News : वाराणसी : टेंशन का पिटारा बन गई यू पी टीईटी परीक्षा

वाराणसी : यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की सम्पूर्णकवायद संपन्न होने के बाद इसके आधार पर शिक्षक भर्ती की तैयारी शुरू हो गई थी कि इसी बीच परीक्षा में धांधली का जिन्न सामने आ गया। धांधली के आरोप में माध्यमिक शिक्षा परिषद के निदेशक को पुलिस ने जहां अपनी गिरफ्तमें ले लिया वहीं शासन स्तर से उन्हें निलंबित कर दिया गया। ऐसे मेंटीईटी के सफल अभ्यर्थियों को तनाव में आना लाजमी है। दूसरी ओर इसमें भाग लेने वाले परीक्षार्थियों द्वारा यह सवाल उठाना स्वाभाविक है कि जब परीक्षा में इतनी धांधली हुई है तो इस रिजल्ट पर आखिर विश्वास ही क्यों किया जाये। दरअसल पेंच फंसा हुआ है।
परीक्षा देने वाले विजय कुमार पटेल का कहना है कि टीईटी ने सिर्फ छात्रों को टेंशन दिया है। इस परीक्षा में बेरोजगारों के लगभग सत्तर करोड़ से अधिक रुपये खर्च हुए।प्रत्येक छात्र के इस परीक्षा में दसहजार रुपये लगे हैं। प्राइमरी व जूनियर के फार्म की कीमत पांच-पांच सौ रुपये थी। कुल 594053 लोगों ने प्राइमरी व 519665 लोगों ने जूनियरके लिए आवेदन किया था। इस प्रकार कुल 55 करोड़ 68 लाख 59 हजार रुपये खर्चहुए। इसके अलावा एक फार्म को पोस्ट करने पर लगभग 75 रुपये खर्च आए। इस प्रकार कुल 8 करोड़ 35 लाख 28 हजार 850 रुपये हुए। रिजल्ट आया तो प्राइमरी में पास होने वाले की संख्या 2,70806 रही। तत्पश्चात लोगों को शिक्षक की नौकरी के लिए 500रुपये का बैंक ड्राफ्ट लगाकर फार्म भरना पड़ा। अगर पास छात्रों की संख्या के आधार पर इसे जोड़े तो इस परकुल 13 करोड़ से अधिक खर्च आए। इसके बाद मा‌र्क्स करेक्शन के बाद रिजल्ट आया तो कई छात्रों ने अपने बढ़े नम्बर के साथ आवेदन किया। इसमें लाखों रुपये खर्च हुए। इसके बाद द्वितीय चरण में चार हजार अभ्यर्थियों को पास किया गया। फार्म भरने में इन लोगों ने 500 रुपये बैंकड्राफ्ट के साथ, कुल जमा बीस लाख रुपये खर्च किए। फार्म पोस्ट करने समेत अन्य खर्च अलग हैं। खैर, माध्यमिक शिक्षा निदेशक दोषी हों, न हों, यह जांच का विषय है लेकिन पूरे हालात इस बात का संकेत तो दे ही रहे हैं कि प्रदेश में बेरोजगार युवा छलेजा रहे हैं। उनकी उम्मीदों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। टीईटी के कई अभ्यर्थियों ने अब दोबारा परीक्षा कराने की आवाज उठाई है। इसके साथ सीबीआइ जांच व दोषियों के खिलाफ कड़ीकार्रवाई की मांग की है। संपूर्णानंदसंस्कृत विश्वविद्यालय के साकेत शुक्ला ने टीईटी की पूरी परीक्षा निरस्त करने की मांग की है। कहा कि गत25 नवंबर को आनन-फानन में परिणाम घोषित किया गया। जब इसका कथित सही जबाब नेट पर जारी हुआ तो कई सवालों केउत्तर गलत थे। स्पष्ट है कि आयोजक संस्था को भी सवालों का सही उत्तर नहीं मालूम। ऐसे में योग्य उम्मीदवारों के साथ खिलवाड़ होना तय था। विद्यापीठ के ही आलोक कुमार सिंहने टीईटी को मजाक की संज्ञा देते हुए कहा कि बेरोजगारों को छला गया है। ऐसे में इस परीक्षा को निरस्त कर दोबारा परीक्षा कराना ही बेहतर होगा।रमरेपुर की अंकिता चतुर्वेदी कहती हैं कि टीईटी में धांधली की गई है। परीक्षा की शुचिता का राग अलापने वालों को युवा बेरोजगारों की योग्यतासे ज्यादा धन लूटने से ही सरोकार है। परीक्षा में पास कराने के लिए लाखों रुपये की बरामदगी की बात प्रकाश में आ चुकी है। इस परीक्षा को निरस्त कर पुन: परीक्षा कराना ही उचित होगा। नाटी इमली की श्रीमती रश्मि पाठक कहती हैं कि पहले टीईटी परीक्षा में हाईस्कूल, इंटर, स्नातक व बीएड को आधार बनाने की बात कही गई। बाद में टीईटी परीक्षा के प्राप्तांक को आधारबनाया गया। इसके पीछे धांधली की मंशाशुरू से रही है जो अब उजागर हो चुकी है। संस्कृत विश्वविद्यालय के सचिव कुमार मिश्र का कहना है कि टीईटी की परीक्षा का फार्म भोर में लाइन लगानेके बाद देर शाम मिला। अब परीक्षा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। परीक्षा दोबारा कराई जाए साथ ही फार्म भरने के लिए किसी भी प्रकार का कोई शुल्क न वसूला जाए।

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